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Sarfaraj Ahmad

Drama Inspirational

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Sarfaraj Ahmad

Drama Inspirational

फिर, मैं उठूँगा

फिर, मैं उठूँगा

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दो कदम चल कर लड़खड़ाऊँगा,

गिर जाऊँँगा,

फिर मैं उठूँगा

आगे बढ़ूँगा


अपने नन्हे पैरों पर डगमगाऊँगा,

घबराऊँगा,

फिर मैं चलूँगा,

आगे बढ़ूँगा


सौ बार गिरूँगा

सौ बार उठूँगा

जब तक सीख न जाऊँँ चलना

गिर-गिर कर उठते रहूँगा

खाकर ठोकर दर्द से तिलमिलाऊँगा

फिर मैं उठूँगा,

आगे बढ़ूँगा


कहीं राहे होंगी मुश्किल

तो कहीं आसान

कहीं मिलेंगे इन्सान

तो कहीं हैवान

इन सारी परेशानियों को

गले से लगाऊँगा

दर्द में रहकर भी

मुस्कुराऊँगा

फिर मैं उठूँगा,

आगे बढ़ूँगा...!




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