फिर मैं उठूंगा
फिर मैं उठूंगा
दो कदम चलकर लड़खड़ाऊंगा गिर जाऊँगा
फिर मैं उठूंगा,आगे बढ़ूंगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अपने नन्हे पैरों पर डगमगाऊंगा,घबराऊंगा
फिर मैं चलूंगा आगे बढ़ूंगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सौ-बार गिरूंगा सौ बार उठूंगा
जब-तक सीख न जाऊँ चलना
गिर-गिर कर उठता रहूंगा
खाकर ठोकर दर्द से तिलमिलाऊँगा
फिर मैं उठूंगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
कहीं राहें होंगी मुश्किल तो कहीं आसान
कहीं मिलेंगे इन्सान तो कहीं हैवान
सारी परेशानियों को हँसकर गले लगाऊंगा
दर्द में डूबकर भी मुस्कुराऊंगा
फिर मैं उठूंगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
