फिर एक कहानी याद आई
फिर एक कहानी याद आई


फिर एक कहनी याद आई
जो रुबरू हो कर तुम से हम ने फिर से दोहराई।
जो मिलते थे हम किसी से रोज़ वो फिर
आज हमारे ज़हन में ख़्याल बन कर लौट आया,
हाँ ,याद आया वो फिर याद आया ।
करवटें बदल बदल कर गुज़रती है अब रातें
जब ख़याल आ जाता है उसका,
हाँ वो याद आया फिर एक बार वो याद आया।
ना चाहते हुए भी आ जाता जिस का ख़याल
वो कभी हक़ीक़त थे हमारे तो क्यूँ आज एक फँसाना बन कर रह गए ।
लो फिर एक कहनी याद आई
,याद आकर भी जो रह गए पर फिर भी बहुत कुछ कह गए।
लो फिर एक कहनी याद आई ,लो फिर एक कहनी याद आई!