“ फेसबूक मित्रों की मौनता “
“ फेसबूक मित्रों की मौनता “
मित्र की संख्या बढ़ा कर क्या करेंगे ? जरा दिल से तो जुड़ के देखिए !
आपकी मौन तस्वीर की पूजा क्यों करें ? कुछ बातें तो कर के देखिए !!
मित्रता में विचारों का मेल हो !आपसी सहयोग का भी योग हो !
मिलना कठिन होता यहाँ पर, बात करने की सदा संयोग हो !!
हर मित्रता में बात एक जैसी मिलेगी, संवाद से ही मित्रता आगे चलेगी !
मूक बनकर ही सदा यूँ ही रहेंगे, नींव मित्रता की सदा हिलती रहेगी !!
आपकी तस्वीर विभिन्न भंगिमाओं वाली, फेसबूक के दीवारों में चिपकी रहेगी!
कुछ दिनों तक हम इसे झेलते रहेंगे, बाद में कोई और आके वहाँ चिपकी रहेगी !!
आप यदि इतने अपने में ही व्यस्त हैं तो मित्रों की संख्या क्यों बढ़ा रहे हैं ?
किसी से दोस्ती का इज़हार करके उसे सरेआम बेवकूफ क्यों बना रहे हैं ?
वर्षों से मित्र तो आप बन गए हैं पर आपने कभी उनसे बातें नहीं की!
मौनता में आजन्म रहना सीख लिया कभी करीब आने की कोशिश नहीं की !!
जुड़ो तो दिल से जुड़ो गुफ्तगू सबसे करो मित्र बनकर रहो खिलते चमन के चमकते फूल बनकर !!