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Vimla Jain

Action Classics Children

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Vimla Jain

Action Classics Children

स्कूल

स्कूल

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जब हम छोटे बच्चे थे।

रोज स्कूल जाते थे।

बहुत शरारत करते थे।

पर टीचर के सामने शांत बैठते थे।

जैसे हम से सीधा कोई नहीं

जैसे ही वह गए क्लास से वैसे ही

हो गई हमारी धमाचौकड़ी चालू।


कोई किसी से कम नहीं

जब तक मॉनिटर की धाक ना आए

नाम सबके दे दूंगी टीचर को तो

सब शांत बैठकर।

करते अपने काम चुपचाप करते।


चुपचाप चौक फेंकते

आंखों से सब शरारत करते।

कभी-कभी तो मॉनिटर को अपने

बस में लेकर उसको भी अपने साथ मिला लेते।


क्या दिन थे वह भी बहुत मस्ती

बहुत मस्ती करते।

इतना प्यारा स्कूल हमारा

यहां से हमने शिक्षा पाई।


ज्ञान विज्ञान शैतानी मस्ती

सब कुछ है साथ में पाई।

जिसको हम कभी ना भूल पाए।

आज भी मन करता है वापस दो चोटी बनाए ।

बच्चे बन स्कूल को हम जाएं।


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