Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Bhavna Thaker

Drama Inspirational

5.0  

Bhavna Thaker

Drama Inspirational

पहचान ढूँढे शक्ति

पहचान ढूँढे शक्ति

2 mins
545


पूछने चली पता अपना

एक नारी है दीवानी

पहले धरती से ये पूछा

बता मुझमें क्या खास रे।


धरती बोली शर्मा कर तू

मुझसे बड़ी महान है,

मैं तो भीगती बारिश से,

तुझपर ना बरसे कोई नमी

सहने में माहिर तू

मुझसे बड़ी महान है..!


आसमान से पूछा जाकर

मुझमें ऐसा क्या खास रे

आसमान ने इतना बोला

तेरी गरिमा तेरा अभिमान है।


पूरा परिवार परवाज़ में रखे

उड़ती हर दिशा में

विशाल हदय की मालकिन तू

नतमस्तक सारा जहान है..!


नदियाँ के पानी से पूछा

मुझमें ऐसा क्या खास रे

पानी शरम से पानी होते बोला

तू निश्चल और नादान है।


कितने रंग में ढलती है तू

रात दिन पिसती है

बहती फिर भी बिना थके तू

नदियों से महान है..!


ज़ख़्मों से जाकर ये पूछा

मुझमें ऐसा क्या खास रे

ज़ख़्म दर्द से कराह उठा

बोला तू सहने में बेमिसाल है।


ज़िंदगी मुझको भेजे तुझको

हर पल घाव लगाने

तेरी शक्ति के आगे मैं बौना

खुद को पाऊँ

मुझे तुमसे बड़ा रुज़ान है..!


पेड़ से जाकर इतना पूछा

मुझमें एैसा क्या खास रे

पेड़ ने हाथ जोड़े बोला तू

परिवार की छाँव है।


तेरे साये में है पलते

परिवार के पौधे

फल फूल के साथ तू देती

पनाह सारे घर को।


तेरी नींव पे रम रहे सब

भरकर खुद में जोश

सब है निर्भर तुझ पर एैसे

जैसे पत्तियों पे ठहरी ओस..!


फिर भी संतुष्ट नहीं हुई

भगवान से जाकर पूछा

बोल प्रभु अब तू बता

मुझमें ऐसा क्या खास रे।


प्रभु बोले तू शक्ति है शिवा

लक्ष्मी का रुप है

बरकत है तेरी आभा से

सूना तुम बिन हर घर है।


सक्षम है तू जन सकती है

मेरे बोए अंश को

माँ का तेरा रुप ये पगली

महान बनाए तुझको

जन्म जो मुझको लेना है

तेरी कोख की जरुरत मुझको..!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama