फ़ौजी
फ़ौजी


व्यर्थ का हम वक्त गंवाए
समय का मोल समझ न आये
सरहद पर दिन रात खड़े
दुश्मन से है आँख लड़े
छोड़ के अपना घर परिवार
मेरा फ़ौजी करे देश विचार
कभी न कोई ख़्वाब सपना
कभी न खुद के लिए जीना
हम भी थोड़ा करे विचार
छोड़े दूजा धर्म अविचार
आपस में नित्य पले प्रेम भावना
यही ले हम उनसे 'प्रेरणा'