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Krishna Khatri

Romance

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Krishna Khatri

Romance

फागुन आया !

फागुन आया !

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फागुन आया संग अपने 

रंगीली होली लेकर आया !!


रंग-बिरंगे इन रंगों की 

उड़ रही ये गुलाल देखो 

जियरा पुकारे है तुमको 

सजन अब तो आजा रे !

फागुन आया... !!


जब से तुम गए परदेस 

यहां रह गए अकेले हम 

तुझ बिन दिन लगे बेगाने

रातें भी हो गई पराई !

फागुन आया... !!


मन-चातक है प्यासा

तुझको पुकारे दिन रैना 

अब तक ना आई चिट्ठी

ना ही कोई खबरिया !

फागुन आया...!!

          


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