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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama

पेड़

पेड़

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पेड़ तेरा भी क्या खूब सहारा है

मुश्किल में देता तू साथ हमारा है

सब मुझे जब छोड़ चले जाते है,

तब तू ही निभाता भाईचारा है


ये सारी ही दुनिया ग़मो का दरिया है

बिना स्वार्थ नही बनाता कोई भैया है

तू मुझे बताता साहिल का किनारा है

पेड़ तेरा भी क्या ख़ूब सहारा है


जब भी ये साखी उदास होता है,

नहीं कोई रास्ता मेरे पास होता है,

तब तेरी ममतामयी छांव,से

दूर हो जाता मेरा तो दुःख सारा है


इनकी सहनशीलता कुछ सिखाती है

अहिंसा का एक पाठ हमें बताती है

कोई तुम पर हिंसा करे,

चुप रहकर प्रतिकार करो,


ये अहिंसा का पुजारी बड़ा ही प्यारा है

पेड़ तेरा भी क्या ख़ूब सहारा है

हे स्वार्थी दुनिया,

कुछ तो सीख लो, इन सजीवों से


न झगड़ते किसी से

रहते प्रेम से एक ही खेत में

एक हम इंसान है,

आजकल हो गये शैतान है


बिना प्रेम के ये सारी दुनिया,

बस एक टूटा हुआ तारा है

पेड़ तेरा भी क्या ख़ूब सहारा है।


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