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Ruchika Rai

Abstract

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Ruchika Rai

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पेड़ लगाएं

पेड़ लगाएं

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काटते हैं पेड़

नई दुनिया बसाने को

विकास का यह मार्ग सबको दिखाने को।

हरे भरे जंगल लुप्त हो रहे,

कंक्रीट का जंगल बसाने को।


कैसा विकास, कैसी उन्नति,

प्राणवायु की हो रही है कमी।

दूषित वातावरण, दूषित जलवायु,

हवा अशुद्ध है साँसों में आने को।


तबाही का है ये मंजर,

मौत की तरफ बढ़ रहे कदम।

पेड़ों को काटकर,

स्वयं मौत को निमंत्रण।


ये कैसा विकास है

लालायित है हम सब 

जिसको सदा पाने को।

आओ मिलकर सब पेड़ लगाएं

धरा को प्रदूषित होने से बचाएं।


जीवन को मिले एक स्वस्थ सुखद राह,

आओ धरा को हरित बनाये।


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