पेड़ का दर्द
पेड़ का दर्द
पेड़ चुपचाप बैठा है ,पूछ रहा मानव से ,
क्यों तुम दानव हो ?हम देते तुमको ,
कितनी चीजें ,फल और फूल निराले ,
पर क्यों तुमने हमारे ऊपर हथियार मारे II
कई बार सुना है तुम्हारे ही मुख से ,
कहते रहते पेड़ हमारे रक्षक हैं ,
फिर भी तुम हमारे भक्षक हो ,
पूजा तुम हमारी करते हो
फिर चोट क्यों हमें पहुँचाते हो ?
कहते हम मत पहुँचाओं चोट हमें ,
हमें भी दर्द होता है ,दुखता दिल हमारा है I
जहाँ -कहीं भी हमें लगा दो ,
जीवन की रक्षा हमेशा जरुर करेंगे हम ,
हम है उपयोगी तुम्हारे लिए
तुम समझो इसका मोल
पेड़-पौधें हैं जीवन के लिए अनमोल
जीने का हक़ सबको है
मानव हो मानवता मत भूलों तुम II
