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Ashutosh Singh

Drama

4  

Ashutosh Singh

Drama

पड़ाव

पड़ाव

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उम्र के ऐसे पड़ाव पे पहुँचता जा रहा हूँ

जहाँ बड़ा बनने की होड़ भी है, 

और छोटा भी होना चाह रहा हूँ।


जहाँ से नीचे जाने का है खौफ बहुत 

और गिर के खिलखिलाना भी चाह रहा हूँ।

उम्र के ऐसे पड़ाव पे पहुँचता जा रहा हूँ ...


जहाँ ख्वाब मुमकिन करने की दौड़ भी है 

और इत्मिनान से सोना भी चाह रहा हूँ 

जहा दिन-रात का रत्ती भी होश नहीं 

और शाम का लुत्फ़ भी लेना चाह रहा हूँ 

उम्र के ऐसे पड़ाव पे पहुँचता जा रहा हूँ ....


जहाँ दोस्तों की बेशुमार भीड़ भी है 

और यारों संग अकेलापन भी चाह रहा हूँ 

जहाँ बटुओं को भारी करना मकसद भी है 

और खाली जेबों का अल्हड़पन भी चाह रहा हूँ 

उम्र के ऐसे पड़ाव पे पहुँचता जा रहा हूँ ....


जहाँ दिमाग बड़ा होने की ज़िद में है 

और दिल में फिर बच्चा होना चाह रहा हूँ 

जहाँ अपने बच्चों को गोद में लिए हूँ 

और अपनी माँ की गोद में सिमटना चाह रहा हूँ 

उम्र के ऐसे पड़ाव पे पहुँचता जा रहा हूँ।।


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