पैदा होने से बच्चे को मार दिया**
पैदा होने से बच्चे को मार दिया**
पैदा होने से पहले ही,
ख़्वाबों में उसे मार दिया,
माँ की गोदी में जो था,
उसको साया भी तुझसे छीन लिया।
उसकी नन्ही सांसों को,
फिर क्यों सजा मिलनी थी?
सपनों में जो लहराई थी,
उसे चुपके से दबा दिया।
तितली जैसे उसकी रूह थी,
ख़्वाबों में खो जाने वाली,
लेकिन तेरे हाथों ने उसे,
तूफ़ान से पहले ही मिटा दिया।
कभी उसकी आँखों में जो चमक थी,
वो भी तेरे कदमों तले दम तोड़ दी,
एक लम्हे को भी वो न जी पाया,
तेरे फैसले ने उसे मरा कर दिया।
पैदा होने से पहले ही,
माँ-बाप ने उसे छोड़ दिया,
वो नन्हा सा सपना,
कभी पूरी दुनिया न देख पाया।
फिर भी हर दिल में उस बच्चे की,
मौन आवाज़ गूंजती है,
"क्यों नहीं मुझे जीने दिया?"
हर सवाल रुकता नहीं।
