इस अंजान शहर में
इस अंजान शहर में
अपनों से बात करके ही तो सुकून
मिल पता हैं वरना इस अजान
शहर में हाल पूछने कौन आता है
अब तो अकेले पीनी पड़ती हैं
कमबख्त शराब भी, वरना इस अंजान
शहर में चल भाई दारू पीते है
बोलने कौन आता हैं
अब तो अकेले ही घूमने निकल जाता हूँ
वरना इस अंजान शहर ,में
चल भाई गौरी घाट जाते बोलने कौन आता हैं
रख लेता हूँ खुद का थोड़ा ख्याल
वरना इस अंजान शहर में
खाना खाया या नहीं पूछने कौन आता है
अक्सर निकल जाता हूँ कैफे में
पिज़्ज़ा वर्गेर और कोल्ड कॉफी के लिए
वरना इस अंजान शहर में घर में
कौन बना कर खिलता हैं
अब तो नहीं करता फालतू की
हरकतें क्योंकि इस अंजान कोई
कहाँ हमको चिल्लाता है।
