पावस ऋतु
पावस ऋतु
उमस भरी गर्मी से दिलाने को निजात,
वर्षा देखो सुबह सवेरे आई धरा पर आज।
निखरी निखरी सी धरा लगती मनभावन,
देखो नभ में छाई है काली घटा सुहावन,
पेड़ों पर भी हरीतिमा दिख रही है ऐसे,
जैसे प्रकृति का रूप लग रहा लुभावन।
चारों तरफ धरा पर जल दिख रहा है,
रूप ऐसे जैसे धवल चाँदनी बिखर रहा है,
पक्षियों के प्यास बुझाने के लिए आज,
जल की बूँदें मोती सम टपक रहा है।
लेकर हल किसान खेत को जा रहे हैं,
हरित धरा के लिए मनहर गीत गा रहे हैं,
खुश हैं कि धरा की प्यास बुझ जाएगी,
फिर से खेतों में फसलें खूब लहलहायेगी।
उमस भरी गर्मी से दिलाने को निजात,
वर्षा देखो सुबह सवेरे आई धरा पर आज।
