पाँच का पंचनामा
पाँच का पंचनामा
पाँच का पंचनामा है अद्भुत, अविस्मरणीय, कीर्तिमान कुछ ऐसा,
सदा जगमगाते प्रतापी सूर्य देवता और चंदा की चांदनी और कीर्ति जैसा.
पाँच इंद्रियों की ताकत है अपार जैसे,
उसी तरह है बेजोड़ शक्ति पंचायत के पाँच पंचों की,
इंद्रियों से मिलता जीवन तो पंचों के मार्गदर्शन से मिल जाती मंज़िल
उनको जो भटके हैं डगर से जीवन की।
पाँच नदियों के संगम पे स्थित है जो, पड़ा पंजाब उसका नाम,
पाँच उँगलियों के सौजन्य से तो बन जाते सभी बिगड़े काम।
सप्ताह के पाँच दिनों में पूर्ण होते सभी के काम-काज,
पंच तंत्र की कथाओं में निहित हैं दुनिया की सम्पूर्ण विषमताओं के राज़।
पंचतत्वों से बना मानव दम रखता सृष्टि की काया-पलट करने का,
पाँच महासागरों के परिवेश में समाहित है कोना-कोना दुनिया का।
पाँच हैं जीव-जंतुओं के वर्ग, पाँच ही पीड़ा के वर्ग,
पंचक्षरी शिव मंत्र के जाप से विलुप्त हो जाते सभी दुख-दर्द।
पंचामृत के सेवन से धुल जाता बड़े से बड़ा पाप भी,
पंच कैलाश के दर्शन कर , उद्धार हो जाता शिव- भक्तों का सभी.
पाँच स्वरों के प्रयोग बिना बन ना पाता कोई भी शब्द,
ओलंपिक के 5 छल्ले दर्शाते महाद्वीपों की महिमा व उनके अस्तित्व का अर्थ।
इसलिए महामयी है 5 की संख्या इसके प्रताप ने किया सभी को स्तब्ध,
इसकी महिमा इसकी कीर्ति है कुछ ऐसी समझाने को जो चले इसे,
वही रह जाता निःशब्द ।