पाखंड
पाखंड
क्या भिखारी क्या पंडित
दिल में बजते सबके,
पैसों का बाजा।
फिर भी छाती पीट रोए,
करे तमाशा।
कुछ नहीं है हमारे पास
हाथ है आता।
गले में माला डाल चंदन
का टीका लगा पाखंड
अपने पाखंड से सबको
भ्रम में है डालता।
ऐसे पाखंडीयों से बचा
कर रखें मेरे विधाता।