पाक रूहें
पाक रूहें
दफ़्न हो चुके जो
काल के गर्त में
बारे में उनके
तरह तरह की टिप्पणी
कभी महान तो कभी नित्कृष्ट
ना होते वो तो
गुलामी की दासता में
जकड़ा आदमी
क्या तोड़ पता सलाखें
शहादत समर में उनकी
विस्मृत कर दी
करवट बदलेगा इतिहास
स्मृति पटल पर
छाया चित्र उभरेंगें
जन जन होगा नतमस्तक
क्योंकि
पाक रूहें आज भी
जिन्दा हैं।
