ओ पत्थरबाजों
ओ पत्थरबाजों
ओ पत्थरबाजों
हमने फौज में आकर क्या गलत किया
भारत माँ की रक्षा का प्रण लिया
देश सेवा का व्रत लिया
देश हित में काम किया
संयमित व्यवहार किया
सेना की रीति-नीति को अपनाया
ओ पत्थरबाजों !
क्या दिया तुमने हमें
निष्ठा के बदले लात-घूंसे
समर्पण के बदले अपमान
हम आपदा में फँसे
तुम्हारे भाई बंधुओं को बचाते रहे
तुम क्रोध के वशीभूत हो
इनाम में पत्थर बरसाते रहे
ओ पत्थरबाजों !..
हम कर्त्तव्य से बँधे सैनिक हैं
तुम राह भटके क्रोधित युवा हो
सुलग रहा है स्वर्ग हमारी धरती का
पर जलियाँवाला बाग नहीं बनेगा
ओ पत्थरबाजों !
रोको अपने पत्थरों की वार को
जागो चेतो ..पहचानो दुश्मनों की चाल को
न उगाओ खेतों में केसर के बदले बारूद को
खुदा भी तुम्हें पनाह न देगा
यही बारूद तुम्हें छलनी-छलनी कर देगा..
यही बारूद तुम्हें छलनी छलनी कर देगा ...