ओ बारिश
ओ बारिश
मौसम बदल रहा है
तप्त धरा की
प्यास बुझाने
बारिश की बूँदें
धरती पर पड़ रही है
पर मन की तप्तता
और बढ़ गयी है
काश धरती की तरह
कुछ शीतल बूँदें
मन पर भी पड़ी होती
तन की तरह
मन भी शीतल होता
सबके मन की उद्विग्नता
कम तो होती
और एक दूसरे के लिए
अच्छे विचार मन में पनपते
ओ बारिश,
कुछ ऐसा चमत्कार करो
कुछ ऐसा हो कि
सबका मन शांत
और कोमल भावनाएँ
ही जन्म ले
इस बार बस
प्रेम ही बरसाना
नफरत की जगह
कोई न हो
सबका सपना साकार हो
सबके सपने आकार लें
सबकी मन की सुनना
ओ बारिश,
बस चारों तरफ
प्रेम ही प्रेम हो।