नयन
नयन


सदा ही ढूंढते रहते हैं
यह नयन किसी को
सदा ही छाई रहती हैं
उदासी सी इनमें।
कभी कजरा भी न लगाया
कि बह न जाये
इन अश्कों के साथ
कभी ना पा सके
ये मंजिल अपनी।
पर ये कोरे नयन
कभी तो चमकेंगे उमंग से
कभी तो सजेंगे कजरे से
कभी तो पाएंगे अपनी मंजिल।
बस इसी इंतजार में
ये नयन
पलक भी नहीं झपकते
कि कहीं खो न जाये
मंजिल पास आते आते।