नयी राहें
नयी राहें
वो नाज़ुक नरम दो हाथ
हो गये समर्पित किसे,
वो हल्दी मेंहदी रचे बसे हाथ
वो कच्चे केले से हाथ।
वो नरम नरम टहनी
वो नूतन किसलय भोला,
चला डगर पर मौन
ले उम्मीदों का झोला ।
तुमको हम बतायें
ये राहें नयी हैं,
ज़रा सँभल के चलना
कॉंटे यहॉं कई हैं ।