नये पत्ते.......
नये पत्ते.......
पतझड़ के बाद खिले नये पत्ते हर एक शाखाओं पे
मानो मनमें उमंग भरे कई सपनें अपनी आशाओं के
सूखी हुई बगिया में हरे-हरे मोती बिखराये कल के
देख हो गयी पावन धरा संतुष्टी की घागर यू झलके
खुशहाल हो उठे पशू पक्षी लहलहातें व्रुक्ष की छाया में पल के
अपना-अपना घोंसला बनाने के लिये उड़ चले लाने तिनकें
ऐसे मनोहारी द्रुष्य ये जीवनभर रखियें संभाल के
जान से ज्यादा प्यारी स्रुष्टी में ही सजेंगे सपनें कल के
नये पत्तों का नया बसेरा साथ लिये प्राणी झूम उठे संसार के
कभीना बनना भागिदार तुम जीवनसे भरी स्रुष्टी संहार के.
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