STORYMIRROR

ATUL MISHRA

Abstract

4  

ATUL MISHRA

Abstract

न्याय

न्याय

1 min
488

न्याय हुआ है सत्य का, 

जीता है हर भक्त।

न्यायमूर्ति का, न्यायप्रिय के लिए,

न्याय है सर्वसम्मत।


विश्वास, प्रेम, भक्ति सदा,

फैले निज चहुँ ओर।

न्यायालय का प्रमाण यह,

मजबूत न्याय की डोर।


न्यायप्रियता थी जिनके रग में,

ऐसे थे प्रभु श्री राम।

अतुल समर्पित तन मन है,

देख न्यायमूर्ति का न्याय।


न्याय की जलती रहेगी, 

सदा, यूं ही मिसाल।

हिन्दू, मुस्लमान कुछ नहीं, यहाँ, 

हिन्दुस्तान में रहता सिर्फ इन्सान। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract