नया सबेरा
नया सबेरा
मेरे मन के द्वार पर
धीरे से दस्तक दी किसी ने
कानों में कहा पुकार कर
बहुत हो गया बंद दिवारों में
यूं घुटकर जीना
तनिक दिल की आवाज़ को सुन
अपनी भी पहचान बना
अरमानों की आहुतियों की हो गई अति
बेड़ियों को तोड़ लाना है नवीन जाग्रति
तू ज़रा बाहर निकल
सीख फूलों सा महकना
चिड़ियों सा चहकना
देख भव्य नज़ारा
हर पल पवन के झोंके के साथ
नदियों व झरनों का कल-कल बहना
जो हमें नित नये देते संदेश
चार दिवारी तेरा रैन बसेरा है
प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ़ उठा
यही तो लाया तेरे लिए नया सबेरा है
