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Sakshi Jain

Romance

4.0  

Sakshi Jain

Romance

नूर ख़ास सा है

नूर ख़ास सा है

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190


उनका नूर कुछ खास सा था 

कुछ अनकही बातें तो कुछ

अनकहा प्यार सा था 


वो बिन बोले सब कुछ बोल जाते थे 

आँखों ही आँखों सब ब्यान कर जाते थे 

उनसे यूँ दोस्ती से इश्क़ होना सब खेल है 


प्यार मोहब्बत सब एक रेल है 

वो इन्सान कुछ यूँ सा है प्यार


इतना करता की कभी जाता नहीं पाता

अंदर ही अंदर टुटसा जाता है 

लेकिन प्यार बेशक करता है 

लेकिन प्यार बेशक करता है।


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