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Sakshi Jain

Fantasy

4  

Sakshi Jain

Fantasy

दुनिया

दुनिया

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बदल जाते है लोग 

ढल जाता है दिन 

थम जाता है पल 

सँवर जाता है जीवन


मुस्कुरा जाता है चेहरा 

धड़क जाता है दिल 

हिल जाता है जहान

गरज जाते है बादल


बरस जाती है बूंदे 

खिल उठा है आसमान 

महक जाते है फूल 

चहक जाते है पंछिया 


बढ़ चुकी है ख्वाइशें

उड़ चुकी है उमंगें 

मिल जय गर ये आज़ादी 

घूम सकूँ पूरी दुनिया 

घूम सकूँ पूरी दुनिया।


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