STORYMIRROR

Nitu Mathur

Fantasy

4  

Nitu Mathur

Fantasy

नृत्य बाला

नृत्य बाला

2 mins
292


नृत्य बाला::


हल्की दस्तक़ धीमी आहट दबे होंठों से निकले जो बोल 

चाँदी घुंघरू पाज़ेब पहन वो अपने मृग नयनों को खोल 

यूँ इठलाती बागों में यहाँ वहाँ सुंदर सुनहरी तितली डोल 

आऊं पास तो भागे दूर वो छल है या कोई रचना अनमोल,


छनक छनक घुंघरू की लड़ी बजे जब जब उठे पैर 

गोल मोड़ आगे पीछे हाथ के आकार भावों को घेर 

हर थाप पे डोले मन महके मोगरा चूड़ी की छन छन 

वो देखे चहूँ ओर घूमर घेरे सुंदर नाच से चुराए तन मन,


कोमल तान पर झूमे मयूरा ये दृश्य सुहावन आला 

सृष्टि झूमी देव मगन देखे जो अलौकिक नृत्य बाला 

मन में उठी लहरें मानो पवन सी तरंग देख ये रंगशाला 

मृदुल अधर से सुंदर सुर पर हिरनी सी थिरकती बाला,


धानी चुनर ओढ़े सारा गगन तारे मुकेश से चमके 

रोम रोम झूमे ज्यों देखें मुख उसका दामिनी दमके 

मेघ बरसे आशीष का धरा वारी जावे फूली समावे 

उसके नृत्य से नटराज भी प्रसन्न अभिभूत हो जावे,


मैं भी उस जैसी बन जाऊँ लाल मोहर बन छप जाऊँ 

उसकी सुंदर प्रति दूसरी छाया बन दर्पण में समाऊँ 

किंतु वो तो बस एक है अपनी सी लाखों करोड़ों में 

उसे प्रेरणा मानकर उसका पथ अनुसरण करती जाऊँ। 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy