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S R Daemrot (उल्लास भरतपुरी)

Inspirational

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S R Daemrot (उल्लास भरतपुरी)

Inspirational

नफ़रत न फैल जाए संभल जाओ।

नफ़रत न फैल जाए संभल जाओ।

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नफरत न फैल जाए, संभल जाओ चमन वालों ।

कुछ दौर ही ऐसा है सब , मिल के संभालो।

 

कुछ गिद्ध बैठे हैं , मौके की तलाश में।

नजरें दौड़ओ देखो, अपने आस-पास में।

ऐसा ना हो कि खुद ही घर को जला डालो...


हम जोश और आवेश में गलती जो करेगें।

लम्हों की खता में ,सजा ता-उम्र भरेंगे।

मजहब नहीं , संविधान को हाथों में उठा लो...


यह गुलिश्तां हमारा है, हर रंग के फूल हैं।

सब की महक अलग है , फिर भी कुबूल हैं।

सबको मिला कर एक, गुलदस्ता बनालो...


छोटे बड़े बुजुर्ग और जवान मिल चलो।

माताएं-बहनें,देश के किसान मिल चलो।

आपस के भेदभाव को , सारे भूला डालो...


अलग छांट दो उन्हें,जिनका नफरत ही सवाल है।

फिर तोड़ दे हमको भला, किसकी मजाल है।

मिलकर सभी एक साथ , तिरंगे को उठालो...

                  

 



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