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Satyawati Maurya

Inspirational

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Satyawati Maurya

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निशानी अमूल्य

निशानी अमूल्य

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मौसम कितने अब आएंगे -जाएंगे,

पर इक साजन तुम ना अब आओगे।

जान अपनी हथेली ले घर से चले ,

खाकर माँ भारती के लाज की क़समें।

एक -एक दुश्मन पर तुम पड़े भारी थे,

निहत्थे ही टूट पड़े उन पर तुम आरी से।

फ़ख़्र से हमेशा यह मैं कहती रहूँगी,

जग के अदम्य वीर की हूँ पत्नी ।

क्या दूँ तुमको,क्या वारूँ वीर कहो,

सपने अपने इंद्रधनुषी वारती तुम पर लो।

गर्वीले तन पर शान से तिरंगा लिपटा,

कहता वीर गया कायरों को निपटा।

गर्भ में मधु रजनी की निशानी अमूल्य,

तेरी यादों संग पालूँगी ओजस्वी वीर।



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