नींद यूँ ही नहीं उड़ी होगी
नींद यूँ ही नहीं उड़ी होगी
नींद यूँ ही नहीं उड़ी होगी।
चोट दिल पर कहीं लगी होगी।।
दिखे मायूस - से कई चेहरे ,
दिल्लगी दोस्तों ने की होगी।
दर्द सहकर भी मुस्कराने से,
जिन्दगी बोझ-सी नहीं होगी।
शिखर मंजिल के छू नहीं सकते,
हौसलों में अगर कमी होगी।
कभी हारा नहीं अगर कोई,
जीतने की कहाँ खुशी होगी।
सफर में था नहीं मैं तन्हा,
साथ परछाईं तो चली होगी।
नौनिहालों को देखकर भूखा,
खुदकुशी मुफलिसों ने की होगी।
गर कहीं सो गई नई पीढ़ी,
यह सदी त्रासदी भरी होगी।