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Deepak Srivastava

Abstract

5.0  

Deepak Srivastava

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मातु बन्दना

मातु बन्दना

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हे सती साध्वी भवप्रीता

तुम आर्य भवानी रत्नप्रिया  

नैनो में मूरत हो करली

हे प्रस्तर प्राण निवासिनी माँ


संसार में हो सौहार्दय विनय

तुम अहंकार का नाश करो

हे मात सनाथ कृपा करो

प्रस्तर में मूरत हो न्यारी


हे सती साध्वी भवप्रीता

तुम कालरात्रि रौद्रमुखी माँ

शैलपुत्री माँ रूद्र भवानी

कण कण में माँ करो निवास  

प्रस्तर में देखू मूरत मैं


मैया में देखूं मैं ममता

प्रस्तर में मूरत हो न्यारी

हे सावित्री शिवदूती अनंता

प्रत्याशा हे जलोधरी माँ

हो जाये सबका मन उपवन  

हे माँ सब पर उपकार करो

मिटे द्वैष अपनापन हो जग में

ऐसी जग मे प्रीती भरो


हे माता अब कल्याण करो  

हे माता अब कल्याण करो

हे सती साध्वी भवप्रीता

तुम आर्य भवानी रत्नप्रिया।


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