वो माँ है न
वो माँ है न
तेरी हर नादानियों को
एकटक निहारा करती थी
कभी पुचकारती , तो कभी
ललना बुलाया करती थी
वो माँ है न ,
आज भी मुस्कराया करती है।
तेरी एक मुस्कान के आगे
वो सब कुछ वार जाती है
कभी देवी , कभी ममता का
हर बार अहसास कराती है
वो माँ है न,
तभी तो खुश हो जाती है।
याद है ना तुझको
जब पहली मर्तबा चोट लगी थी
तू तो रोया ही था
साथ में वो भी रोई थी
वो माँ है न,
आज भी सहम जाती है।
ना हो कोई अनहोनी
नज़र का टीका वो लगाती थी
हांथो में कंगना
कमर में करधनी बांधती थी
वो माँ है न,
आज भी चिंता करती है।
खुद ना खाना खाती पहले
निवाला पहले तुझको खिलाती थी
खुद सदा गीले में सोया करती
तुझको सूखे में सुलाया करती थी
वो माँ है न,
आज भी उतना ही ध्यान रखती है।
जब तू रात को देर से घर आता
वो दरवाजे पर इंतज़ार करती है
जब बापू तुझको डाँटे
वो बापू से भिड़ जाती है
वो माँ है न
तेरी खुशी को अपनी ख़ुशी मानती है।
कभी कुछ भी हो
वो पहले ही भांप जाती है
तू जो एक बार फ़ोन करे
वो बार - बार फ़ोन मिलती है
वो माँ है न,
इसलिए तो डर जाती है।
तेरे दुःख दर्द को
वो अपना बनाती है
दर्द होता है तुझको
तो आहे वो भरने लगती है
वो माँ है न,
तुझसे पहले ही रोने लगती है।
रोटी दो मांगता हूँ
तो तीन या चार देती है
जब मना करता हूँ मैं
खुद ख़िलाने बैठ जाती है
वो माँ है न,
तभी तो बाते बनाने लगती है।
रख कर खाना टिफ़िन बॉक्स में
रस्ते भर वो याद कराती है
जल्दी खा लेना , जल्दी खा लेना
फ़ोन पर कई बार बताती है
वो माँ है न,
मुझे भूखा नहीं देख पाती है।
अब जब कई मील दूर हूँ उससे
तो जी नहीं लगता है
जब जब रोता हूँ मैं
फ़ोन पर ढाढस बांधती है
वो माँ है न,
मुझे हँसाने की बातें करती है।
आँखे फूटे उसी दिन
जिस दिन माँ को रोता देखूं
जीभ मेरी बेजान हो जाये
जिस दिन माँ को कड़वा बोलूं
मर जाऊं उसी क्षण
जिस क्षण माँ को रोता देखूं
मैं भी बेटा हूँ ना,
इतना तो कर सकता हूँ।