हमें बिलकुल मलाल ना होगा
हमें बिलकुल मलाल ना होगा
हमें बिलकुल मलाल ना होगा
ग़र आपकी जुबां पर
हिन्दू - मुसलमान ना होगा
ये तो हमारा जहाँ-ए-हिन्दुस्तान है
यहाँ ग़र मज़लिस है,
तो जागरण भी होगा
पर शर्त यह है कि
हिन्दू -मुसलमान ना होगा
फिर तो हमें बिलकुल
मलाल ना होगा
सबके दिलो में अल्लाह और
राम का वास होगा
ग़र एक जगह लंगर तो,
दूसरी जगह भंडारा होगा
इंसान की आँखों से
इंसान का दीदार होगा
पर शर्त यह है कि
हिन्दू -मुसलमान ना होगा
फिर तो हमें बिलकुल
मलाल ना होगा
"फर्क " ना धर्म से होगा,
ना जाति से होगा
अब अमन, चैन सिर्फ
इंसानियत से होगा
ना नफ़रत की दीवारें होगी ,
बस सौहार्द का माहौल होगा
पर शर्त यह है कि
हिन्दू -मुसलमान ना होगा
फिर तो हमें बिलकुल
मलाल ना होगा
कभी मंदिर तुम आओ,
तो कभी मस्जिद हम आये
ग़र की है नेकियाँ,
तो ख़ुदा के घर इन्साफ़ होगा
पर शर्त यह है की
हिन्दू -मुसलमान ना होगा
फिर तो हमें बिलकुल
मलाल ना होगा
वो रूहानी पल आएँगे
इस जहाँ में
जब अमन, चैन, सौहार्द,
प्रेम हम सबका पैग़ाम होगा
पर यह तय है कि उस वक़्त
हिन्दू-मुसलमान ना होगा
फिर तो हमें बिलकुल
मलाल ना होगा