तू कोई
तू कोई
देखूँ तुझे
मैं खुश मिज़ाज़ हो जाऊँ
तू कोई चांदना थोड़ी है
छू लूं तुझे
महक सा जाऊं
तू कोई संदल थोड़ी है
इंतज़ार तेरा
फिर तू लबों से छू जाये
तू कोई जाम थोड़ी है
पाकीज़ा तू है
छू कर तुझे पाक होऊं
तू कोई तुलसा थोड़ी है
मैं वाकिफ़
तेरे रं -रंग से
तू कोई खुदरंग थोड़ी है
इबादत करुँ
ग़र रूठे मैं मनाऊं
तू कोई मेराज़ थोड़ी है
करे ईलाज़
और मैं बे-मर्ज़ हो जाऊं
तू कोई हकीम थोड़ी है
बनूं भँवरा
दिन-रात मंडराऊँ
तू कोई महकता
गुलाब थोड़ी है
तवज़्ज़ो दी बस
सज़दा करुँ तुझको
तू कोई खुदा थोड़ी है
नाचीज़ मगरूर तू
तेरे हुक्म पे मरुँ
तू कोई अहबाब थोड़ी है
तारीफ़े तमाम
तेरे हुस्न की करुँ
तू कोई हूर थोड़ी है
फूल चढ़ाऊं
तेरी मूरत बनाऊं
तू कोई भगवान थोड़ी है
तूने जो किया
नज़रें कैसे तुझसे मिलाऊँ
तू कोई इंसान थोड़ी है।
