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Puru Sharma

Abstract

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Puru Sharma

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उम्मीद का उजाला

उम्मीद का उजाला

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उजालों की निशानी संभाले रखना

उम्मीदों की लौ जलाऐ रखना


गुजरेंगी मुश्किलों की हवाएँ भी

बस होठों पे मुस्कुराहट बनाएँ रखना


मंजिलें मुकम्मल होंगी जरूर, बस

सदाक़त का सफ़ीना थामे रखना


ग़र हैं बेसबब मोहब्बत वतन से

तो अमन-ए-पैगाम बनाए रखना


यह धरती हैं माँ का आँचल

इसकी आन को संभाले रखना।


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