STORYMIRROR

Puru Sharma

Abstract

3  

Puru Sharma

Abstract

उम्मीद का उजाला

उम्मीद का उजाला

1 min
147

उजालों की निशानी संभाले रखना

उम्मीदों की लौ जलाऐ रखना


गुजरेंगी मुश्किलों की हवाएँ भी

बस होठों पे मुस्कुराहट बनाएँ रखना


मंजिलें मुकम्मल होंगी जरूर, बस

सदाक़त का सफ़ीना थामे रखना


ग़र हैं बेसबब मोहब्बत वतन से

तो अमन-ए-पैगाम बनाए रखना


यह धरती हैं माँ का आँचल

इसकी आन को संभाले रखना



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract