नींद और ख्वाब
नींद और ख्वाब
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कुछ अजीब ही है नींद,
आने लगे तो डरता हूँ,
तुझसे बातों का वक्त कम न पड़ जाए कहीं
न आए तो डरता हूँ,
ख्वाबों में तुझसे मुलाकात रह न जाए कहीं
तुझे आए, पर मुझे नहीं,
तो लगता है, तन्हा..अकेला रह गया कहीं
मुझे आए, पर तुझे नहीं,
तो लगता है, दगा तो नहीं दिया मैंने कहीं...