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नई सोच

नई सोच

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सोच बदलेगी तो देश बदलेगा

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ


बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

कहने से कुछ न होगा दोस्तों

मन से अगर अपनाओ 

तो फिर बात बन जाये दोस्तों।


भाग्यशाली हैं वो 

जिनकी होती हैं बेटियाँ

भ्रूण हत्या की बात 

तो फिर मन में क्यूँ आये दोस्तों।


जब मानते हैं सब

हर घर की रौनक होती हैं बेटियाँ

यह रौनक घर की शोभा बढ़ाये 

तो फिर ऐसा क्यों न कर जायें दोस्तों।


संस्कारों की संस्कृति 

होती हैं बेटियाँ

कुछ हम भी सुसंस्कृत हो जायें

तो फिर क्या कहना है दोस्तों ।

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जीने व पढ़ने का अधिकार 

मिले हर बेटी को 

कुछ ऐसी सोच हम पा जायें

तो हर आँगन खिल-खिल जायें दोस्तों।


पढ़ी लिखी बेटी होना

गर्व है माँ-बाप का

इस गर्व को उच्च शिक्षा

तो फिर क्यों न दिलवायें दोस्तों।


इतिहास साक्षी है

किसी से भी कम नहीं होती हैं बेटियाँ

किसी भेदभाव की बात 

तो फिर मन में क्यों आये दोस्तों।


बेटी, बहन, पत्नी, माँ

हर रुप में जी लेती हैं बेटियाँ

सर का ताज अगर बना लें 

तो फिर वाह ! वाह ! हो जाये दोस्तों।


      


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