नई शुरुआत
नई शुरुआत
कभी निराश न हो ,उदास न हो
ये जिंदगी कभी रुकती नहीं है।
चलते चलते थक जाओ कभी तो
देखो सूरज चांद की गति, जो थकती नहीं है।
कबाड़ में छुपा रह गया बीज भी
जब प्रस्फुटित होता है, आकार लेता है।
तो नई शुरुआत तो हो सकती है ना
फिर तेरे चेहरे पर ये मायूसी कहां?
गर तुझमें कूबत है, हिम्मत है,
जोशो दम और कुछ करने का मन है।
तो हवाओं का रुख मोड़ दे, तूफानों को
झिझोड़ दे और एक नई शुरुआत कर।
उठ , जाग, बढ़ चल आगे, देख!
ये नए रास्ते, तेरा इंतजार करते हैं।
बाहें पसारे तेरा इस्तकबाल करते हैं।
चल, फिर एक नई शुरुआत करते हैं।