नई राह है
नई राह है
एक नई राह है
मुसाफ़िर बढ़ना जिस पर तय है
संयत, संयम, जननी के अनमोल बोल
बन संगी चलते जब सब माप तौल
फिर होती सदा ही तेरी जय है।।
स्नेह का बंधन है यह सारा
थोड़ा अकड़, न रगड़ झगड़
भाए न दिल को जो तथ्य जरा सा
इस राह में नहीं जाता वह स्वीकारा
अड़ा राही कोई ग़र इस बात पर
खोल रख देता वह अपना झोल सारा।।
इस राह में सजा जो यह मेला है
समझ ले सब बड़ा झमेला है
हर कथ्य पर भरी तेरी हामी
खोलने दे उन्हें अपनी पोल
सुर सुर मिलाने को हर बार मुँह मत खोल।।
इस राह के साथी को यह दे जतला
सब तेरा चाहा हो ही पूरा
संभव कहाँ यह चल उसे यह भी बतला
मग्न होकर ग़र जीवन है जीना
कुछ नकार, समझा उसे न करे कोई गैर सा खेला।।
कान्ता के अक्षर का अब ज्ञान जान ले
नहीं कहा गया उसे न मान दे
पर दिल दिमाग पर हर तर्क उसके मत छाने दे
सब वह है मान लिया
पर अस्तित्व का तेरे भी नहीं कोई मोल, यह अनमोल।।
एक नई राह है, चाहत की चाह है
राहत तभी जैसे समझा तूने, समझे वैसे ही वह भी
हर बेगैरत सीख पर न करे उड़ने की कल्पना
पाँव धरा पर टिके रहें
पूरा होगा तब हर अपने आँख का सपना
अकड़ जरा, बता उसे न छोड़े केंचुली सा खोल अपना।।