निःशब्द
निःशब्द
कहने को कुछ नहीं है मैं यादों में हूँ,
मेरे अधरों पर लफ्ज नहीं है मैं ख्वाबों में हूँ।
अश्को का साथ है ये आँखें तनहा नहीं है,
है जस्बातों का मेला हर तरफ ये रातें भी तो तन्हा नहीं है ।
दूर हूँं मैं हर उम्मीद से अब कोई गम नहीं है,
मैं खुद ही खुद के साथ हूँ ये भी तो कम नहीं है।