नेताजी की चाह
नेताजी की चाह
दिनांक - 23-01-2021
"नेताजी की चाह"
23 जनवरी 1897 को अवतरित हुए,
"जयहिंद" के नारे से करते रहे गुनगान,
आज़ाद हिन्द फौज़ का गठन करनेवाले,
स्वतंत्रता संग्राम के शंखनाद से फूँकी जान,
देशभक्त सुभाषचन्द्र बोस नेताजी नाम।
साहस, बलपूर्वक, निडर होकर,
अपने मूलअधिकारों की खातिर,
अन्याय का डटकर विरोध करना,
मातृभूमि का शीश झुकने न देना,
सिद्धांतों से कभी समझौता न करना।
सच्चाई का मार्ग प्रशस्त करके,
ज़ुल्मो सितम को न पनपने देना,
अडिग, अटल सौगंध खाकर ही,
वसुंधरा पर हर ग़लत धारणा को,
नित कठिन प्रयास से साफ करना।
अ! मेरे देशहित के सच्चे शूरवीरों,
स्वयं के आत्मबल को पहचानों,
लक्ष्य को सही दिशाओं में लेकर,
काँटों को रौंदकर गर्जना के साथ
हौसलों की बुलंदियों से आगे बढ़ना।
लहू से सिंचित माँ की आजादी को,
तुम वीर सेनापति बनकर सींचना,
राष्ट्र में पनपती स्वार्थी चाहतों को,
राजनीति की उभरती हुई कुंठा को,
राष्ट्र में कभी फलीभूत न होने देना।
रजनी शर्मा अध्यापिका दिल्ली।।