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Jai Prakash Pandey

Drama

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Jai Prakash Pandey

Drama

नदी का दर्द

नदी का दर्द

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पहले नदी को जगाया 

एक कंकड़ फेक कर, 

फिर ऐनक उतार कर 

 रख दिया नदी किनारे, 


अचानक आंखों में सावन

 घुस आया बाढ़ के साथ 


नदी से हमने पूछा 

कलकल बहने का मकसद

नदी ने रोते हुए कहा 


बिछड़ा तो वही दर्द था 

जो रुह की गहराईयों में था,

हो के जुदा भी वो पहाड़ 

मेरी तन्हाइयों में था।


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