नारी
नारी
त्याग की एक मूरत है नारी,
ममता की एक सूरत है नारी,
अपमान सहकर भी जो केवल पति से करे प्यार,
वात्सल्य से भरी वह परिवार की जरूरत है नारी,
तुम लाख परीक्षा लो उसकी,
हर बार खरी उतरे परिवार के लिये फिक्रमंद है नारी,
उसके आंसुओं का हर बार अपमान करते हो,
फिर भी सिर्फ तुम्हारे लिये सोचे वह मूरत है नारी,
तुम हर बार बेवफाई करो,
फिर भी हर बार तुम्हारा साथ दे वह गैरत है नारी,
वो माँ भी है मत भूलो उसी से जन्म लिया है तुमने,
उसी को अपशब्द कहते हो फिर भी
वो सब सहती है इतनी खूबसूरत है नारी ।
