नारी
नारी
जीवन का आधार है नारी,
बिन तेरे निराधार है,
हर घर की आंगन फुलवारी।
वेग तुम्हारा अत्यंत तीव्र है,
एक नई शुरुआत है नारी,
हर पन्ने का आधार है नारी।
कल-कल करती है नदियों-सी,
आँखों में तेज बहुत ही,
एक सुंदर पहचान है नारी।
दिल रखती है,
दिमाग रखती है,
हर अपनों का ख्याल रखती है।
जननी है रक्षक है,
घर-घर की संरक्षक है,
फिर क्यों हीनता भरा है,
नारी ही जब जीवन है।