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Sudershan Khanna

Inspirational

4  

Sudershan Khanna

Inspirational

रिश्तों का त्योहार

रिश्तों का त्योहार

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आता है हर साल 

राखी का इक त्योहार 

है यह इक त्योहार 

बसता जिसमें भाई-बहन का प्यार 


कथा सिकंदर और राखी से 

है न कोई अनजान

आज भी तुम इतिहास पढ़ लो 

हो जाएगा ज्ञान


वक़्त है बदला बदली हैं हवाएँ 

बदली चुकी हैं फ़िज़ाएं

हर त्योहार व्यापार बना है 

दिल से किसे मनाएं


नव संस्कृति में डोल रही 

मन की अभिलाषाएं

कौन भाई कितना देता है 

मन में उपजती कल्पनाएं


रिश्ते पड़ गए हैं कमज़ोर 

बस पैसे का है ज़ोर

राखी का त्योहार है आया, 

पैसों को लो जोड़


धन-दौलत वाला भाई है पाता 

प्यार असीम बहन का 

मेहनत मजूरी करता जो भाई

वह पड़ जाता लाचार


रिश्तों में लग रही फफूंदी

है पैसे की बोलती तू

ती

आँख मिला न पाता बहन से 

जिसकी जेब है छोटी


कहा चाणक्य ने हरदम पैसा 

है शक्तिशाली महान

बिन पैसे के कोई न झुकता 

न करता है सलाम


बड़ी है मुश्किल आन पड़ी 

अब कैसे हो आसान

रिश्तों को रिश्ते रहने दो 

न करो कोई अपमान


पैसा आज है कल नहीं 

यह दुनिया का दस्तूर

करो न घमंड कोई भी 

होगे तुम चकनाचूर


महक ख़त्म होगी रिश्तों की

लालच में पड़े गर तुम

तोलो मत रिश्तों को कभी 

पैसे के तराजू में तुम


रिश्ता है यह नहीं है सौदा

खोलो आँखें तुम 

उठ जाओ अब प्यार जगा लो 

खो न जाओ तुम


आता है हर साल 

राखी का इक त्योहार 

है यह इक त्योहार 

बसता जिसमें भाई-बहन का प्यार 



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