ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
जो पुस्तकें नहीं सीखा पातीं,
वो पाठ ज़िन्दगी पढ़ाती है,
जीवन जीने का तरीका भी
यही हमे सिखाती है।
इतने परीक्षाएं तो गुरु भी
नहीं लेते जितनी ज़िन्दगी
हमे दिलाती है।
चुनौतियों को पार करना
खूब सिखाया है ऐ ज़िन्दगी,
समय ने मुझे उत्तम बनाने
की ज़िम्मेदारी स्वयं है ली।
हर नए इम्तिहान में लगता,
अब तो बहुत कुछ सीख चुकी हूँ,
अबकी प्रश्न पत्र कुछ तो अपना होगा।
समय ने ठहाका लगाया और
नयी चुनौतियों से भरा एक और
प्रश्न पत्र मेरे हाथों में थमाया।
अपेक्षाएं दुःख की हैं जननी ये
पाठ भी समय ने ही सिखाया।
नहीं करनी कोई अपेक्षा ज़िन्दगी
यदि तू है सच्ची गुरु तो
अच्छे शिष्य होने का कर्त्तव्य
मैंने भी तो निभाया।
ये सही है की कर्म करना है
मेरा संस्कार,
पर थोड़ा ही सही, कभी तो दे
तुझसे प्रेम पाने का अधिकार।
अभी पिछली परीक्षा से मिला था
थोड़ा आत्मविश्वास और सम्मान,
और आज ही दे डाला एक नयी
चुनौती का सामान।
कोई बात नहीं, तू लेती रहना
यूँही मेरे इम्तिहान,
मैं भी तेरी शिष्या हूँ
करती रहूंगी सदैव तेरा सम्मान।