क्योंकि कृष्ण नहीं हैं पास में .....
क्योंकि कृष्ण नहीं हैं पास में .....
कर्ण का व्यक्तित्व एक अमूल्य पाठ है पढ़ाता
चाहे जितना भी सामर्थ्य हो मनुष्य में,
उसे निश्चित हार ही मिलेगी,
यदि कृष्ण नहीं हैं पास में,
होंगे बहुत से कर्तव्य बहुत से लोगों के प्रति,
पर यदि अपना कर्तव्य नहीं निभाया कृष्ण के प्रति,
तो निश्चित ही तेरी हार होगी,
समझ इस बात को,
की कृष्ण नहीं हैं तेरे पास में......
चाहे जितने भी कारण हो तेरे पास में,
जितना चाहे अपने भाग्य का रोना हो तेरे पास में ,
असंतुष्ट ही जीएगा , असंतुष्ट ही मर जाएगा ,
यदि कृष्ण नहीं हैं पास में....
यदि धर्म से अधिक स्वयं की नीतियों का मोल किया
तो निश्चित ही कभी न कभी अधर्म का भागी बनना होगा ...
और अधर्म का भागी बन कर
चाहे जितना भी दान कर ,
कोई पुण्य नहीं मिलेगा,
क्यूंकि कृष्ण नहीं है तेरे पास में ....
चाहे कितनी ही विलक्षण प्रतिभा का धनी हो कोई,
उसकी प्रतिभाएँ ही उसके विपरीत कार्य करेंगी,
भले हों सबसे पराक्रमी वीर उसके साथ में
वो भी कुछ काम नहीं आ पायेंगे,
यदि कृष्ण नहीं हैं पास में,
शल्य सा तेरा सारथी भला
कहाँ टिकेगा कृष्ण के सामने,
इंद्र का दिया शक्ति अस्त्र
कैसे रुकेगा तेरे पास में,
सब कुछ व्यर्थ जाएगा,
समझ इस बात को की कृष्ण नहीं हैं तेरे पास में....
कर्ण के साथ हुआ छल,
ये बात है सिखाता,
की ब्रह्माण्ड की समस्त शक्तियाँ
तेरे विपक्ष में लड़ेंगी यदि
कृष्ण नहीं हैं तेरे पास में।
कृष्ण कभी न कभी सभी को हैं मिलते,
पर तुझे अर्जुन बनना होगा उन्हें पाने के लिए,
कृष्ण के लिए सभी बराबर हैं,
वो कभी न कभी सबको सीख देते हैं अपनी ओर आने के लिए,
कर्ण के पास भी आये थे कृष्ण उसे समझाने के लिए,
पर वही तैयार नहीं था उनके आगे सर झुकाने के लिए,
ऐसा नहीं है, अर्जुन में नहीं थी कोई कमी,
पर उसने कृष्ण को चुना
कम सेना होने पर भी जीत जाते हैं पांडव
पता है क्यों,
क्योंकि कृष्ण थे उनके पास में।
होंगे पास तेरे बहुत से वरदान
विद्या भी पायी होगी महान,
पर अंत में कुछ काम नहीं आएगा
अतृप्ति से भरा जीवन,
अतृप्त ही समाप्त हो जाएगा
यदि कृष्ण नहीं हैं पास में....
कर्ण की कहानी का निकलता है
यही सार,
यदि कर्ण बन तुम भी
कृष्ण प्राप्ति से बचने के सैकड़ों
बहाने गढ़ोगे ,
पाप के भागी बन ,
कृष्ण के विरुद्ध लड़ोगे,
तो अवश्य ही हार का सामना करोगे
दूसरों से मित्रता निभा,
यदि कृष्ण से मैत्री नहीं निभाई ,
तो अतृप्ति में जीयोगे, अतृप्ति में ही मरोगे
क्योंकि कृष्ण नहीं है तेरे पास में ....
कर्ण को नायक बनाकर
आज बहुत से मनुष्य स्वयं चुनौतियों से दूर भागते हैं,
भाग्य की उलाहना दे अर्जुन और कृष्ण को ही कोसते जाते हैं ,
तो ये सार उन सबके लिए ज्ञान है ,
की कृष्ण को पाना ही यहाँ एकमात्र वास्तविक काम है,
कितना ही अभागा लगे तुझे जीवन तेरा,
वो भी संवर जाएगा,
कितनी भी कमियाँ हों तुझ में,
सब अच्छाई में बदल जाएंगी,
यदि कृष्ण हो तेरे पास में....
बाकी जो भी कह ले,
यदि कृष्ण को नहीं चुना
तो सब कुछ व्यर्थ है ....
समझ इस बात को....
सब कुछ व्यर्थ है
क्योंकि कृष्ण नहीं हैं तेरे पास में.....
कृष्ण नहीं हैं तेरे पास में...