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Sunita Shukla

Inspirational

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Sunita Shukla

Inspirational

हौंसलों की उड़ान

हौंसलों की उड़ान

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ये है कहानी एक औरत की 

जिसकी हर साँस में जिन्दगी का जज़्बा है 

महक है, भाव हैं, स्नेह भी अथाह है, 

गहन है, उड़ान है, वेग भी अपार है।


फिर पड़ी क्यों इस तरह, ज्यों औंधे मुँह हो गिरी 

तुच्छ हो, हीन हों, ज्योंं भावना विहीन हो, 

चलती हो, रुकती हो,रोती हो,सिसकती हो।

आदि से अंंत तक,और जन्म से मृत्यु तक।


आज उठ खड़ी है वो, कर रही प्रतिकार है ,

शब्द उसकेे सार हैं, अब न कोई प्रहार है।

आज उठ खड़ी है वो, मानो जैसेे कह रही, 

ये तुम्हारे अपशब्द मेरे कानों में अब नहीं चुभते।


न मन में कोई द्वेष है 

न दिल में लगती कोई ठेस है। 

आखिर क्यों सुनूँ मैं ये कटाक्ष,

 क्यों करूँ मैं मन विषाक्त।


कब तक सिर्फ़ दूसरों की सोचूं

अब थोड़ा मैं खुद के लिए भी जीती हूँ, 

कितने भी विष बाण चलें ,

पर अब मैं नहीं रोती हूँ।


ये आँसू भी अब सूख चले,

मैंने सीख लिया है इनको सहेजना।

आँसुओं को शब्दोंं में पिरोना।

अब यही मेेरी ताकत है और यही मेरा हौंसला।


पकड़ कर बाँधते हो मेरे हौंसलों की उड़ान, 

थकी नहीं हूँ, अब मैंने भी ली है ठान।

तोड़ सकते मेरे मन को,रौंद सकते हो मेरे तन को,

पर छू नहीं सकते मेरे हौंसलों की उड़ान।।


शायद सब पर मेरा बस न चलेे, 

अथक प्रयत्न पर भी विपत्ति टले।

पर फिर भी रहूँगी अडिग मैं खड़ी, 

थामे अपने हौंसलों की कड़ी।


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